संत श्री साईं बाबा - अध्याय 8

  • 609
  • 167

जैसा कि गत अध्याय में कहा गया है, अब श्री हेमाडपन्त मानव जन्म की महत्ता को विस्तृत रूप में समझाते है। श्री साईबाबा किस प्रकार भिक्षा उपार्जन करते थे, बायजाबाई उनकी किस प्रकार सेवा-शुश्रुषा करती थीं, वे मस्जिद में तात्या कोते और म्हालसापति के साथ किस प्रकार शयन करते तथा खुशालचन्द पर उनका कैसा स्नेह था, इसका आगे वर्णन किया जाएगा।मानव जन्म का महत्वइस विचित्र संसार में ईश्वर ने लाखों प्राणियों (हिन्दू शास्त्र के अनुसार ८४ लाख योनियों) को उत्पन्न किया है (जिनमें देव, दानव, गन्धर्व, जीवजन्तु और मनुष्य आदि सम्मिलित हैं), जो स्वर्ग, नरक, पृथ्वी, समुद्र तथा आकाश में