श्री साईबाबा समस्त यौगिक क्रियाओं में पारंगत थे। छः प्रकार की क्रियाओं के तो वे पूर्ण ज्ञाता थे। छः क्रियाएँ, जिनमें :धौति (एक ३” चौड़े व २२½” लम्बे कपड़े के भीगे हुए टुकड़े से पेट को स्वच्छ करना), खण्ड योग ( अर्थात् अपने शरीर के अवयवों को पृथक्-पृथक् कर उन्हें पुनः पूर्ववत् जोड़ना) और समाधि आदि भी सम्मिलित हैं। यदि कहा जाए कि वे हिन्दू थे तो आकृति से वे यवन-से प्रतीत होते थे। कोई भी यह निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता था कि वे हिन्दू थे या यवन। वे हिन्दुओं का रामनवमी उत्सव यथाविधि मनाते थे और साथ ही मुसलमानों का