महाशक्ति – एपिसोड 28"मोह, विश्वास और छिपा हुआ शत्रु"रात गहरी हो चुकी थी, लेकिन अर्जुन की आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। वह काशी लौट आया था, लेकिन शिवजी की चेतावनी उसके मन में गूँज रही थी। अनाया को सुरक्षित रखने की शपथ उसने ली थी, लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में एक अजीब-सा डर भी था।"क्या मैं सच में अपने भाग्य को बदल सकता हूँ?" उसने स्वयं से प्रश्न किया।उसी क्षण, हल्की हवा चली और अनाया उसके सामने खड़ी थी। उसकी आँखों में चिंता झलक रही थी।"अर्जुन, तुम्हें क्या हुआ है? तुम इतने व्याकुल क्यों लग रहे