गाँव की वो गली जहाँ धूल भी उदास चलती थी, वहाँ दो घर आमने-सामने थे — एक में कविता रहती थी, दूसरे में शालिनी।कभी-कभी कुछ रिश्ते खून से नहीं, दर्द से जुड़ते हैं — और यही रिश्ता था इन दोनों औरतों का।कविता ब्याह कर इस गाँव में आयी थी। चेहरे पर तेज़ था, लेकिन आंखों में बीते कल की धुंध भी। शादी बहुत जल्दी कर दी गई थी — माँ नहीं थीं, पिता को समझौते की आदत थी। कविता ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन जैसे ही डिग्री हाथ में आई, उसी हाथ में चूड़ियाँ भी डाल दी