गर्भ संस्कार - भाग 4 - ऐक्टिविटीज़–03

प्रार्थना:हे न्यायाधीश प्रभु! आप अपनी कृपा से हमको काम, क्रोध, लोभ, मोह, भय, शोक, आलस्य, प्रमाद, ईर्ष्या, द्वेष, विषय-तृष्णा, निष्ठुरता आदि दुर्गुणों से मुक्तकर श्रेष्ठ कार्य में ही स्थिर करें। हम अतिदिन होकर आपसे यही मांगते हैं कि हम आप और आपकी आज्ञा से भिन्न पदार्थ में कभी प्रीति ना करें।मंत्र:ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्अर्थ: हे भगवान् नारायण, आप तीनों लोकों के पालनकर्ता हैं, वासुदेव स्वरूप प्रभु मुझमें बुद्धि और ज्ञान का प्रकाश प्रदान करें।गर्भ संवाद“मेरे प्यारे बच्चे! तुम्हारी मासूमियत मेरी आत्मा को शांति देती है। मैं हर दिन तुम्हारे बारे में सोचती हूं और प्रार्थना करती हूं कि