अनदेखा जाल - भाग 2

रात का सन्नाटा और बेचैनी...वरुण के दिमाग में सवालों का तूफान था। स्नेहा ने उसे लाइब्रेरी में मिलने के लिए क्यों बुलाया? क्या ये श्रुति से जुड़ा हुआ था? उसने मोबाइल स्क्रीन पर नजर डाली, लेकिन कोई और मैसेज नहीं आया। रात और गहरी हो गई थी, लेकिन उसकी बेचैनी कम नहीं हो रही थी।अगले दिन - कॉलेज लाइब्रेरीवरुण समय से पहले लाइब्रेरी पहुँच गया। चारों तरफ सन्नाटा था, सिर्फ कुछ स्टूडेंट्स किताबों में घुसे हुए थे। उसे घबराहट हो रही थी, लेकिन उसने खुद को संभाला।थोड़ी देर बाद, दरवाजे से स्नेहा अंदर आई। लेकिन वो अकेली नहीं थी... श्रुति