स्याही के आँसू - अनकहे लफ्ज़ों की दास्तान - भाग 2

स्याह लफ्ज़ – भाग 2"स्याही की बूंदें, आँसुओं में घुल जाती हैं,लफ़्ज़ जब रोते हैं, तब कहानियाँ जन्म लेती हैं..."सुबह की हल्की किरणें पर्दों से छनकर कमरे में आ रही थीं। आर्यन की आँखें अब भी उनींदी थीं, लेकिन दिमाग पूरी तरह जाग चुका था।स्याह लफ्ज़... यह नाम अब उसके ज़हन से निकल ही नहीं रहा था।रातभर उसके दिमाग में वही शब्द घूमते रहे, जो उसने उस ब्लॉग पर पढ़े थे। वे महज़ कहानियाँ नहीं थीं, ऐसा लग रहा था मानो कोई गहरे ज़ख्मों को शब्दों में उकेर रहा हो।उसने करवट बदली, तकिये के नीचे रखा फोन निकाला और बिना