“गर्भवती यह जान ले कि उसकी प्रत्येक सकारात्मक कल्पना सकारात्मकता निर्माण कर रही है। प्रत्येक नकारात्मक कल्पना नकारात्मक परिणाम देने में सक्षम है। एक गर्भवती की सकारात्मकता का केवल उसके शरीर एवं मानसिकता पर असर नही होता बल्कि उसका शिशु उससे भी अधिक संवेदनशील है, वह सब कुछ ग्रहण करता है। वह शिशु अभी मौन है, लेकिन नौ महिने की प्रत्येक कल्पना, प्रत्येक विचार, प्रत्येक कृत्य, आपके व्दारा उत्पन्न प्रेम, दया, करुणा, ईर्ष्या, व्देष, शत्रुत्व... सब कुछ वो अपने जीवन में दोहराने वाला है। जाने अनजाने में सबकुछ हमारे व्दारा ही निर्माण हो रहा है।”“गर्भवती माता का ध्यान दोहरा हो