कलोल

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  “क्या कर रहे हो?” उस रविवार, साढ़े बारह बजे के लगभग विनोद का फ़ोन आया। “तुम्हारा क्या इरादा है?” मैं उछल पड़ा। अपने सभी मित्रों में विनोद मुझे सर्वप्रिय है।भारतीय राजस्व सेवा के अन्तर्गत हम दोनों एक ही समय नागपुर की प्रशिक्षण संस्था में साथ- साथ रह चुके हैं। “क्लब चलोगे क्या?” विनोद ने पूछा। “क्यों नहीं?” मैं झूमने लगा। “मगर आज कमला को ज़रूर साथ चलना होगा,” विनोद ने ज़िद की। “कमला को रहने दो,” अपनी ठस्स, नीरस, उबाऊ और पिछल्ली पत्नी को साथ घुमाने से मैं बहुत कतराता हूं, “वह अपनी यूनिवर्सिटी का कोई काम कर रही