कविताएं/गीत/मुक्तक 1कोइयाँ के फूलताल में खिले हैं कोइयाँ के फूल आना तुम साथ-साथ खेलेंगे, साथ-साथ उछलेंगे-कूदेंगे, नीले पानी में आसमान देखेंगे। आना तुम साथ-साथ खेलेंगे।बेर्रा निकालेंगे फोड़ेंगे-खाएँगे, तलडुब्बी का पानी में भागना निहारेंगे।आना तुम.......। शैवालों ने जाल बिछा खूब उलझाया है।गिरई के सपनों मेंक्या कोई आया है? उसका भी हाल-चाल पूछेंगे-आना तुम.....।माई खिलाएगी चूरा-दही अमचुर करोनी भी थोड़ी-सी राब और बासी कचौड़ी भी तेरे साथ खाएँगे-खेलेंगे आना तुम....। चिड़ियों से सीखेंगे फुर्र-फुर्र उड़ना तिनकों को जोड़कर घोंसला बनाना जादुई दुनिया को हँसना सिखाएँगे। आना तुम.......।हंसों की जोड़ी भी कभी-कभी आती है आदमी के शोर से दूर रह जाती है चुपचाप रहती है उनकी चुप्पी का अर्थ हम-तुम मिलकर खोजेंगे।आना तुम........ताल के किनारे ही झूमता है हरसिंगार तारों से