मंजिले - भाग 22

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            "   चमक "  कहानी सगरे की मार्मिक कहानी जो पेश हैं, जीवन की अचनाक बीती कुछ गतिविधि जो कभी सोचा भी नहीं था। मजदूर अब भीड़ से अकेला रहता हैं, पता कयो, आधुनिक जीवन ने उसका रोजगार छीन लिया हैं। बड़ा दुखदायी समय हैं, एक समय की अब रोटी भी नहीं जुड़ती। पता कयो ? समझ मे आता हैं कुछ, हम आधुनिक हो गए हैं, बहुत दूर तक पुलाड़ से जा चुके हैं। अब मजदूर का काम दस वाली एक मशीन अकेला कर देती हैं, सोचे तो नथू अब बच्चों को भर पेट खाना चावल कैसे