( देश के दुश्मन ) जंगल की कड़ी से जुड़ा मेरा 14 वी किश्त का सिरजना ही मुख्तलिफ हो रहे हैं। ये एक बेबस बाप का प्यार माँ के बिन की मुहबत की पुकार कैसी होती हैं, अच्छे आदमी थोड़े दिन ही कयो जीते हैं.... सब कुदरत के आधीन जो उसे अच्छा लगे कर लेता हैं, आपने पास ले जाता हैं। माया का सिर पक गया था, जानी वो समझ से बाहर