वकील का शोरूम - भाग 18

"चिंता मत करो।" विनोद फुसफुसाया- "मैं तुम्हें मंजिल पर पहुंचाकर ही दम लूंगा।"इसके बाद विनोद यूं अंजुमन पर टूट पड़ा, जैसे कई दिनों का भूखा शेर हो। फिर भी अंजुमन को मंजिल तक पहुंचाने में उसे पंद्रह मिनट और लगे और इसके साथ ही वह खुद भी मंजिल तक पहुंच गया।फिर मंजिल पर पहुंचने के बाद दोनों ही मुसफिर थककर बुरी तरह हांफने लगे।"थैंक्यू सर।” अंजुमन तृप्ति की एक गहरी सांस लेकर बोली- "थैंक्यू वैरी मच। आपने मेरी जान बचा ली। अगर आप मुझे सैटिसफाई न करते तो शायद मैं इस आग में जलकर मर जाती।"विनोद ने उसे अपने सीने