सारनगढ की राजकुमारी - भाग 1

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पंद्रहा साल पहले हुई भविष्यवाणी का सच होना जैसे मुश्किल लग रहा है , अंधतमस का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, ...राजा चंद्रसेन अपने नागरिकों की दशा को देखते हुए बहुत विचलित हो उठे ...." और कितना हमारी मासुम प्रजा को इस दुष्ट का कहर सहना पड़ेगा..."अपने पति की मनोदशा को देखते हुए रानी सुकृति उन्हें समझाते हुए कहती हैं...." महाराज ! हमें और हमारी निर्दोष प्रजा को देवी की इच्छा अनुसार तक सहना पड़ेगा....जानते है न ये नियम भंग होने का प्रकोप आप पहले भी झेल चुके हैं , मैं अपने एक पुत्र को तो को