प्रार्थना:दयालु नाम है तेरा, प्रभु हम पर दया कीजे।हरि सब तुमको कहते, हमारा दुःख हर लीजे॥दयालु…..विषय और भोग में निशिदिन फँसा रहता है मन मूरख।इसे अब ज्ञान देकर, सत्य मार्ग पर लगा दीजे॥दयालु…तुम्हारी भूल कर महिमा, किए अपराध अति भारी।शरण अज्ञान है तेरे, क्षमा अपराध सब कीजे॥दयालु…तुम्हीं माता-पिता जग के, तुम्हीं हो नाथ धन विद्या।तुम्हीं हो मित्र सब जग के, दयाकर भक्तिवर दीजे॥दयालु…न चाहूँ राज-धन-वैभव, न है कुछ कामना मेरी।रख सकूँ शुद्ध सेवाभाव, शुभ वरदान ये दीजे॥दयालु…तुम अन्तर्मन के भावों को, जानते हो सदा स्वामी।यही जीने की अभिलाषा, चरणरज दास को दीजे॥दयालु…मंत्र:जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले। गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्॥अर्थ—