**परिवर्तन की ओर** **भाग 4: विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार ढलना** **अध्याय 4: जीवन के हर मोड़ पर खुद को ढालना** आरव की यात्रा अब उस बिंदु पर पहुँच चुकी थी जहाँ उसे एहसास हुआ कि जीवन में सफलता और संतुष्टि पाने के लिए सिर्फ खुद को समझना और अपने कौशल को सुधारना ही काफी नहीं है। उसे विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालना भी सीखना होगा। चाहे वह कार्यालय का माहौल हो, रिश्तों की जटिलताएँ हों, या सामाजिक प्रभाव बनाने की चुनौती, आरव ने फैसला किया कि वह हर स्थिति में खुद को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेगा। ---**1.