मंजिले - भाग 20

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     (वो छोकरी )  ---- एक पैदा करके छोड़ आये, दुसरीया उसको नाम नहीं दे रहे। बहुत न नंसाफी कर दिया।                      " टक टक टक थक थक" की आवाज़ ने लोरी मात्र जैसे चंदा को सोवा दिया था। गाड़ी चल रही थी। मथरा इसका जक्शन था। बर्थ पे कुछ मनचले बैठे उसको नेहारे जा रहे थे। उसके भरवे बदन का उसका थोड़ा दोष था? जवानी की दहलीज़ थी। सब बहक जाते हैं। मनचले भी देख कर बहक गए।