अनुच्छेद चारग्राम पंचायत गुलरिहा के बारह पुरवों में हठीपुरवा ही नहीं गुलरिहा भी एक पुरवा है। प्रधान जी गुलरिहा में ही रहते हैं। गनपति प्रधान जी के यहाँ शाम को पहुँचे। प्रधान जी अपने वरामदे में चारपाई पर बैठे थे। 'जय शम्भो' कहते हुए गनपति सामने की बेंच पर बैठ गए।'मिली बहुत परेशान न होव। गनपति आवें और महुआ के रस न पावें ई कैसे होई सकत है?' प्रधान जी बोल पड़े।'आपै के किरपा से जीइत है मालिक। एक लड़िका है ऊ लुलिहाए रहत है। कहत है ई दारू छोड़ौ। अब आपै बतावा जाय मालिक, अतरे दिन से यहुका सेय