मंजिले - भाग 19

           मंज़िले कहानी सगरे मे से ------                             ( एक मुलाक़ात )1987 की सत्य घटना, आधारित कहानी, पात्र कल्पनिक  और स्थान कल्पनिक हैं। अगर सच लिख दू... तो पथर बाज़ी हो जाएगी। मारने वालो का पता नहीं, अपुन तो पक्का दोजख  मे.... नहीं  मै मरना नहीं चाहता... सच इतना भी मत बोलो, कि खुद संकट मे फ़स जाओ। बस यही सोच कर, मै चुप हू।                       कहानी के किरदार यूँ हैं... तुम जान सकते हो