अनुच्छेद एकतन्नी, नन्दू, हरवंश अदालत में पेश किए गए। न्यायिक दंडाधिकारी ने पत्रजात पर नज़र दौड़ाई। दोनों पक्षों को सुना। माओवादियों से सम्पर्क पर उनका भी माथा ठनका। पुलिस की माँग पर तीनों को दो सप्ताह की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। रामसुख, नरसिंह थे ही कान्तिभाई भी पहुँच गए थे। उन्होंने मानवाधिकार से जुड़े एक अधिवक्ता को तत्काल अपने पक्ष में खड़ा कर दिया था। भारत में कई राज्यों के अनेक जनपदों में नक्सलवादी सक्रिय हैं। आन्ध्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखण्ड, बिहार होते हुए एक लाल गलियारे की चर्चा अक्सर की जाती है। नेपाल में भी माओवादियों ने सत्ता में