**भाग 2: भावनात्मक बुद्धिमत्ता** **अध्याय 2: भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना** आरव की आत्म-जागरूकता की यात्रा अब एक नए मोड़ पर पहुँच चुकी थी। उसे एहसास हो चुका था कि खुद को समझने के लिए सिर्फ ताकत और कमजोरियों को जानना ही काफी नहीं है। उसे अपनी भावनाओं को समझने और उन्हें नियंत्रित करने की कला सीखनी होगी। एक शाम, आरव अपने दफ्तर से लौटा। दिन भर की थकान और तनाव उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था। उसका प्रोजेक्ट डेडलाइन के करीब था, और टीम के सदस्यों के बीच मतभेदों ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी थीं। जैसे