86 समुद्र की साक्ष्य में गुल एक बड़ी शिला पर बैठी थी। रात्रि का अंतिम प्रहर चल रहा था। केवल तीन व्यक्ति थे उस क्षण तट पर। अन्यथा तट शून्य था। समुद्र पूर्ण चेतना से भरा था। तट तक लहरों को ले जाने का दायित्व पूरे उत्साह से निभा रहा था। कृष्ण पक्ष की पंचमी का चंद्र अपनी ज्योत्सना से तट की रेत को शीतलता दे रहा था। ज्योत्सना की किरणें उत्सव तथा केशव के मुख को कांतिवान कर रही