चौबोली रानी - भाग 9

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#चौबोली रानी (भाग 9)#विक्रमादित्यचन्द्रनयनी प्रतीक्षा करते करते विह्वल हो गई.निर्जन वन,अकेली नारी, वह भयभीत हो उठी. सारथी के भी न लौटने पर उसका ह्रदय आशंका से भर उठा. प्रतीक्षा करना अब असहनीय हो गया और वह भी देवी के मंदिर की ओर चल पड़ीदेवालय में प्रवेश करते ही उसने अपने पति और सारथी के कटे हुए शव देखे, चारों ओर बिखरा हुआ रक्त देखा,देखते ही उसकी चीत्कार निकल गई और वह अचेत हो गई. पता नहीं कितने समय तक वह बेहोश रही, होश आने पर रुदन करने लगी - "हे भगवान! जब स्वामी ही चले गये तो मैं जीवित रह