नंदिनी, जो जीवन को सादगी से जीने में ही खुश रहती थी। वह मानती थी कि व्यक्ति का रूप नहीं बल्कि मन सुंदर होना चाहिए। व्यक्ति यदि सुंदर होकर भी अच्छा व्यवहार और कोई खास गुण न हो तो उस सुंदरता का क्या लाभ? वह चाहती थी कि अपनी कला से आगे बढ़े और अपने जीवन को सुंदर बनाए। नंदनी की छोटी बहन विद्या, एक सहेली की तरह उसके साथ रहती थी। जिससे वह अपनी सारी बातें करती थी। लेकिन नंदनी की मां को हमेशा उसके भविष्य की चिंता सताती।वह सोचती कि उसका विवाह कैसे होगा? नंदिनी के सांवरे रंग