सरहद के रास्ते

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मैं वह दिन कभी नहीं भूल सकती शायद वह दिन मेरे ज़हन् में छप चुकी है । क्योंकि वही दिन था जब वह मेरे से दूर जा रहा था लिटरली बहुत दूर जा रहा था । वो दिन जब अच्छे से सूरज भी नहीं उगा था, मुर्गे ने बांग भी नहीं लगाया था । आसमान में बस हल्की-हल्की लालिमा छाई हुई थी। उसके परिवार वाले उसके रिश्तेदार वाले सब उसके साथ हमारे गांव के रेलवे स्टेशन पर समय से पहले उसे छोड़ने के लिए आए हुए थे । सच कहूं तो वह अपने वर्दी में किसी हीरो से कम नहीं