चौबोली रानी - भाग 8

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 सम्राट विक्रमादित्य ने कहा - "हे ज्योतिपुंज, अय रजनी के साथी दीप! मैं तुमसे बात करना चाहता हूं, आवश्यक होने पर उत्तर देना, रात लम्बी है, मैं कहानी सुनाना चाहता हूं, कहानी के अंत में प्रश्न करूंगा तुम उत्तर देना.        रानी लीलावती सोचने लगी, सुंदरता में विवेक हो यह आवश्यक नहीं है, देखने में तो यह पुरुष सुंदर और प्रतिभाषाली लगता है किन्तु निर्जीव दीप से बात करना चाहता है और उत्तर की भी अपेक्षा रखता है, मूर्खता की कोई सीमा नहीं है. क्या बेजान वस्तु भी बोल सकती है ?     विक्रम ने कहा - हे