लगभग सात बजे अंजुमन उसी बंगले में पहुंची, जहां दाढ़ी-मूंछों वाला वह नौजवान रहता था, जिसे लोग राज बहादुर कहते थे।उसे देखते ही गेट पर खड़े दरबान ने चुपचाप दरवाजा खोल दिया। अंजुमन ने अपनी स्कूटी गेट के कुछ आगे ले जाकर रोकी, फिर तेजी से चलती हई बंगले के उस कमरे में पहुंची। जहां राज बहादुर के होने का अनुमान था।वह कमरा एक लाइब्रेरी की शक्ल में था, जिसमें लगभग 20 ऊंचे रैक लगे हुए थे तथा जिनमें हजारों पुस्तकें करीने से सजी हुई थीं।राज बहादुर वहां न केवल मौजूद था, बल्कि तन्मयता से एक किताब पढ़ने में जुटा