सन्यासी -- भाग - 31

अब जयन्त अपना सामान पैक करके रात होने का इन्तजार करने लगा,उसने सभी से कहा कि वो हरिद्वार जा रहा है किसी गुरूजी के पास,कुछ दिन उनकी शरण में रहकर आत्मचिन्तन करेगा,उसके इस निर्णय से घरवाले खुश थे कि शायद जयन्त हरिद्वार जाकर कुछ सुधर जाएँ,लेकिन उन्हें क्या पता था कि जयन्त तो कोई काण्ड करने जा रहा था और उसके इस कर्मकाण्ड में डाक्टर अरुण भी शामिल थे और इधर जयन्त के  हरिद्वार जाने के नाम से सुहासिनी परेशान हो उठी,क्योंकि वो ही उसका आखिरी सहारा था जो उसकी डूबती हुई नइया को पार लगा सकता था,लेकिन वो आखिरी