रौशन राहें - भाग 17

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काव्या की यात्रा अब एक नए मुकाम पर पहुँच चुकी थी। उसके अभियान ने अब केवल एक सामाजिक आंदोलन का रूप नहीं लिया था, बल्कि यह समाज की सोच और दृष्टिकोण को बदलने की दिशा में एक नई शक्ति बन चुकी थी। उसने सशक्तिकरण की जो अवधारणा शुरू की थी, वह अब हर वर्ग और हर उम्र के व्यक्ति को प्रभावित करने लगी थी। महिलाएं अपने अधिकारों को समझने और समाज में अपनी भूमिका को पहचानने लगी थीं, और पुरुष भी अब इसे अपनी जिम्मेदारी समझने लगे थे।समाज के हर हिस्से को जोड़नाकाव्या का मानना था कि कोई भी आंदोलन