रौशन राहें - भाग 10

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भाग 10: संघर्ष की ऊँचाई परकाव्या की यात्रा अब एक मोड़ पर पहुँच चुकी थी, जहाँ उसे न केवल अपनी व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था, बल्कि उसने अपने मिशन के लिए एक नई दिशा भी अपनाई थी। उसका आंदोलन अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका था। हर तरफ उसकी योजनाओं और उसके कार्यों की सराहना हो रही थी, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी था – उसका व्यक्तिगत जीवन।अब काव्या को यह महसूस होने लगा था कि वह जिस संघर्ष में लगी हुई थी, वह सिर्फ समाज में बदलाव लाने के लिए नहीं था,