“सेवा ? आप मेरी सेवा करोगे मालको? आप दुच्चा सिंह की सेवा करोगे।""हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं।" विनोद बोला- "कि गरीबों, लाचारों, अपाहिजों और रोगियों की सेवा करने से बड़ा पुण्य मिलता है।”टुच्चा सिंह ने जब यह सुना तो उसके चेहरे पर जैसे बारह बज गए। उसने यूं विनोद की ओर देखा, जैसे अगर उसका बस चले तो वह उसे कसकर थप्पड़ जमा दे।"सोहणयो ।” फिर वह एक आह-सी भरकर बोला- "मैं माइयवां सच में बड़ा गरीब हूं। मेरे से वड्डा लाचार पूरी दुनिया में और कोई नहीं है। मैं अपाहिज भी हूं और रोगी भी हूं।इसके अलावा और भी