संपूर्णा अभी तक घर क्यों नहीं पहुंची थी? बाबू नेकचंद ने मैंटलपीस को छठी बार उठा कर देखा–घड़ी की सुइयां अढ़ाई बजाने जा रहीं थीं। आंधी -पानी के कारण संपूर्णा को कभी देर हुई भी थी तो हद से हद पौने दो के सवा दो बजे बज गए थे,मगर इस तरह अढ़ाई तो कभी न बजे थे। घर में दो बहुएं थीं।तीन पोते थे।एक पोती थी। मगर बिना किसी से कुछ कहे बाबू नेकचंद ने अपनी कमीज़ के साथ अपनी पतलून पहनी-– घर पर