बदलाव ज़रूरी है शृंखला में लीजिये पेश है मेरी सातवी कहानी जिसका शीर्षक है सपने भी ज़रूरी है एक परिवार में चार लोग रहा करते थे पति पत्नी और उनके दो बच्चे जिसमें से एक बेटा था और एक बेटी, घर के मुखिया अर्थात पिता जी का एक छोटा सा होटल था. जिसमें कोई ख़ास सुविधाएं नहीं थी. बस यूँ समझ लीजिए की नाश्ते के साथ -साथ कुछ थोड़ी बहुत मिठाई और पानी सोडा आदि.बस और कुछ खास नहीं और जो घर की करता धर्ता थी वह थी उनकी धर्मपत्नी अर्थात उन दो बच्चों की माँ जो घर से ही