वकील का शोरूम - भाग 8

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"क्या हुआ?" जस्टिस दीवान ने सम्मोहित कर देने वाले स्वर में पूछा- कहां खो गई आप?"और फिर, जैसे दीवान के मेस्मोरिज्म से बाहर निकल आई ममता। उसने फौरन अपने जज्बात पर काबू पाया तथा स्वयं को संभाल लिया।"सॉरी सर।" फिर वह बोली- "मुझे ऐसा लगा, जैसे यहा आकर मैं सम्मोहित हो गई हूं।""आप मजाक कर रही हैं?" दीवान ने अपने होंठों पर पूर्ववत मुस्कराहट लिए हुए कहा- "किसमें हिम्मत है, जो क्राइम ब्रांच की इस होनहार इंस्पेक्टर को सम्मोहित कर सके। हां, अगर हम सम्मोहित हो गए होते तो और बात होती।""अब आप मजाक कर रहे हैं सर।” ममता तनिक