चौबोली रानी - भाग 6

  • 909
  • 255

मृत्यु दंड की बात सुनकर राजकुमारी की सेविकायें भयभीत हो उठी. उन्होंने एक-दूसरे की ओर देखा, बड़ी सेविका बोली - हमें तुम्हारी शर्त स्वीकार है.     राजा विक्रम ने द्वार खोला और सेविका को कंचुकी दे दी. राजा विक्रम भी सेविकाओं के साथ यान में बैठकर कंचनपुर आये. कंचनपुर के राजकीय अतिथिगृह में ठहरे. अतिथिगृह बहोत बड़ा था. उसमें राजा विक्रम को सभी सुविधायें उपलब्ध थीं.       दिन बीतते गये, किन्तु राजा विक्रमादित्य की राजकुमारी से भेट की व्यवस्था न हो सकी. राजा विक्रम ने दासी से कहा - अपने वचन का पालन करो.    दासी ने कहा -