दिल्ली की कालेज औव आर्ट गैलेरी में ‘उभरते’ हुए युवा चित्रकारों के चित्रों की एक एकल प्रदर्शनी आयोजित की जा रही थी। आगामी सप्ताह। उसी कालेज के एक अध्यापक के सौजन्य से—जो स्वंय चित्रकला की दुनिया में ऊंचा नाम रखते थे— मेरे भी दस चित्र सम्मिलित किए जाने थे। उस शाम मैं अपने एक महत्त्वपूर्ण चित्र पर काम कर रहा था। अपने द्वारा चित्रित एक टूटे दर्पण में एक मानव चेहरे के विभिन्न खण्डों की विरूपता सजीव करते हुए। विभिन्न रंगों से। तत्पर घोड़ों की मानिन्द