वकील का शोरूम - भाग 5

इसके बाद कोइ गला फाड़कर हंसने लगी, कोई फूट-फूटकर रोने लगी तो कोई गंदी गंदी गालियां देने लगी।बैरिस्टर विनोद ने कानों में उंगलियां ठूंस लीं। सामने वाली युवती अभी भी आतंक से चीखे जा रही थी और अपने आप में सिमटती जा रही थी।न चाहते हुए भी विनोद का चेहरा आंसुओं से भीगता चला गया।"जिस कानून ने तेरी यह हालत बनाई है, रेणु ।" कुछ हीक्षणों में वह बड़बड़ाया - “मैं उसकी इससे भी बुरी हालतबनाऊंगा। उसने तुझे पागल बनाया है, मैं उसे एक ऐसी वेश्याबना दूंगा, जो टके-टके में बिकेगी। मैं उसकी बोटी-बोटी उधेड़कर उसे अदालत में नंगा नचाऊंगा।