तांत्रिक भैरवनाथ राज की बात को सुनकर चिंतित हो गए और फिर कहा “बात तो सही है राज पर तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है हर समस्या का कुछ न कुछ तो समाधान जरूर होता है, मुझे कुछ समय अकेला रहना पड़ेगा पर उसके पहले मुझे ये शरीर मतलब विशाल के शरीर का त्याग करना होगा क्योंकि मानव शरीर की कुछ पाबंदियां होती हैं और में ये भी नहीं चाहता की जो भी में करूँ उसका असर इस पर हो”।तांत्रिक भैरवनाथ उसी कमरे में पूर्व की ओर मुख करके ध्यान में बैठ गए और कुछ ही देर बाद विशाल