नगर में प्रवेश करने पर राजा विक्रमादित्य ने एक सुंदर भवन देखा. भवन के बाहर सुंदर प्रांगण था. इसी आंगण में लगे एक आम्रवृक्ष के नीचे एक तेजस्वी पुरुष को देखा तो वह अपना कुतुहल नहीं रोक सका.सम्राट विक्रमादित्य के पास आया और बोला - "परदेशी प्रतीत होते हो ? कहां से आये हो भाई ? सम्राट विक्रमादित्य ने उत्तर दिया- "मैं उज्जयिनी से आया हूं आनंद को यह जानकर प्रसन्नता हुयी और वह सहज भाव से बोला - क्या उसी उज्जयिनीसे आये हो जहां सम्राट विक्रमादित्य का शासन है ? सम्राट विक्रमादित्य ने उत्तर दिया