मंजिले कहानियो का किताबी सग्रह मे से एक मर्मिक कहानी... नाम ( प्रयागराज ) " मन की एक तृप्त करने वाली यक्त आज भी टीस देती थी " बिमला जैसे रोने लग जाती थी, मोहन लाल भी चुप हो जाता था। ये कारवा मौत का कैसे बना था। " कौन सा हम vip थे " बिमला बोली थी, " हम तो एक मामूली जनसधारण हैं। "