मौन गवाह

मौन गवाहमुंबई की बारिश में भीगी सड़कों पर स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी टिमटिमा रही थी। इंस्पेक्टर अर्जुन पाटिल एक सुनसान गोदाम के बाहर खड़ा था, उसकी नज़रें खून से सने फर्श पर टिक गईं। सामने, जमीन पर पड़े हुए एक अमीर व्यापारी रमेश मल्होत्रा की लाश थी—सिर में एक गोली लगी थी।कोई संघर्ष नहीं हुआ था। हत्या साफ-सुथरे तरीके से की गई थी।कांस्टेबल रवि ने चारों ओर देखते हुए कहा, "ये किसी पेशेवर का काम लगता है।"अर्जुन ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी आँखों में सवाल थे। "दरवाजे पर जबरन घुसने के निशान नहीं हैं, न ही किसी सुरक्षा कैमरे