अधूरी राहें

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उसका नाम अर्जुन था ।नाम तो ऐसा था, जैसे किसी योद्धा का हो पर उसकी जिंदगी का हर दिन एक हार की कहानी लिखता  था ।  सुबह सूरज की पहली किरण के साथ उठकर वह ईट- भट्टे पर काम करने जाता है। उसकी उम्र केवल 18 साल थी, लेकिन चेहरा ऐसा लगता, जैसे उसने जिंदगी के सारे दुख झेल लिए हो ।अर्जुन का सपना था एक बड़ा आदमी बनने का । लेकिन सपना और हकीकत के भी एक खाई थी — गरीबी । उसके पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे , लेकिन उनकी तबीयत खराब  रहती थी । माँ