...!!जय महाकाल!!...अब आगे...!!दरवाजे पर गुरुजी और उनके कुछ शिष्य खड़े थे.....उन्हें कुछ सर्वेंट्स लेकर आए थे.....जब सुरुचि उन्हें दरवाजे पर देखती हैं.....तब वो जल्दी से उठ कर उनके पास जाकर उन्हें नमन करती है.....और उनके पैर छूती है.....गुरुजी उनके सर पर हाथ रख उन्हें आशीर्वाद देते हैं.....तब तक सभी दरवाजे पर पहुंच चुके थे.....और सभी ने अपने हाथ जोड़ लिए उनके सम्मान में.....सुरुचि ने उन्हें अंदर आने को कहा.....गुरुजी अन्दर आकर सोफे पर बैठ गए.....वो अपनी माला को लिए भगवान का नाम जप रहे थे.....धर्म जी उनसे बोले:प्रणाम गुरुजी.....!!गुरुजी सिर हिला दिए.....तोह धर्म जी आगे बोले:गुरुजी आप तो जानते है.....हम