यह दिन सहदेव के लिए बेहद खास था। उसने अपनी मेहनत और काबिलियत का पहला फल चखा था, और अब उसे अपनी योग्यता साबित करने का मौका मिल चुका था। वह जानता था कि आगे की राह आसान नहीं होगी, लेकिन उसके भीतर एक अद्भुत जोश और आत्मविश्वास भर चुका था। अपने केबिन में वापस आकर उसने अपनी सीट संभाली और लैपटॉप पर प्रोजेक्ट के काम में जुट गया। उसके भीतर का जुनून उसे हर पल काम करने के लिए प्रेरित कर रहा था। वह यह सुनिश्चित करना चाहता था कि उसकी हर योजना न केवल प्रभावी हो, बल्कि मनीषा और