रिश्ते का बांध - भाग 9

"ऐसे क्या देख रहे हो...अगर भाईसाब होते तो..बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी सहमति जताते..भूल गए तुमने क्या वादा किया था? तुमने तो कसम तक ली थी उनकी...और फ़र्ज़ निभाने का वादा किया था" सुशीला चिढ़ कर बोली"...मुझे सब याद है..(धीरे से ) लेकिन मैंने ये नहीं सोचा था...कि रमा की शादी मुझे करनी होगी" माधव डरते हुए बोला"तो और कौन करेगा भला...और है ही कौन मेरा ...होता तो बात ही क्या थी...मैं जानती हूँ...शादी व्याह में पैसे ज्यादा खर्च होते हैं...और फिर ये बुढ़िया तो तुम्हें पैसे चुका तक ना पाएगी""नहीं बुआ जी...कैसी बात कर दी आपने...इतना छोटा तो मैं सोच भी नहीं