सूरज की पहली किरण जब नई दिल्ली की पतली गलियों को चूमती, तो ऐसा लगता जैसे यह शहर खुद को हर सुबह नया करता हो ।यही नया अनुभव अब निर्मय के लिए इंतजार कर रहा था। जामिया विश्वविद्यालय के विशाल परिसर में कदम रखते ही निर्मय ने खुद को छोटे से गांव की सीमाओं से बाहर निकलते हुए पाया। सब कुछ नया था — लोगों की भाषा उनके पहनावे यहां तक कि उनकी सोच भी। पहले ही दिन क्लास में उसे महसूस हुआ कि यहां पर प्रतिस्पर्धा सिर्फ़ पढ़ाई में नहीं बल्कि खुद को साबित करने में भी है ।निर्मय