आग से रिश्ता, नारी से नाता"अध्याय 1: जलती हुई आगराघव का जीवन हमेशा से ही संघर्षों से भरा हुआ था। वह एक छोटे से गाँव का रहने वाला था, जहाँ जीवन सरल था लेकिन हर किसी को अपनी रोटी का इंतजाम करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। राघव के लिए, आग का मतलब केवल एक साधन नहीं था, बल्कि यह उसके जीवन की सच्चाई थी। घर में आग जलाने से लेकर, काम करने के दौरान चूल्हे पर खाना पकाने तक, आग उसकी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी।वह अक्सर अपने पिता के साथ खेतों में काम करता,