बीते न रैना भाग - 4

                    (   बीते न रैना )                 कर्नल की कार फिरोज को स्टेशन पे छोड़ गयी थी। और गले से मिला था... फिरोज दोनों को.. होश कम था दोनों को... फिरोज को ठंड कम इसलिए कम लग रही थी, कि उसे विस्की का असर और मुँह मे इलायची थी छोटी हरी... जिससे सास गर्म लावा जैसे और बदबू कम थी। दिल्ली की टिकट लीं, टिकट काउटर से, एक लड़की घुटनो तक लम्मा कोट डाला हुआ बहस रही थी उच्ची से, बात को समझा... फिरोज ने।