Part - 6मैं आठवीं कक्षा में था, लेकिन पूरे स्कूल में मुझसे ज्यादा चर्चा किसी की नहीं थी। हर हफ्ते मेरा नाम घोषित होता था, और प्रिंसिपल मैम भी परेशान रहती थीं। कई बार मुझे सुबह प्रार्थना में आगे बुलाकर सुना देती थीं। लेकिन वो सब सामान्य था। मैं बस हर वो संभव काम करता था जिससे मैं रुही के आसपास रह सकूं। बात तो नहीं कर पाता था, लेकिन उसे जी भरके देखता रहता था। वो कई बार मुझे देखती और मेरी नजरें अपने आप नीचे हो जाती थीं। मैं उसकी आंखों में भी नहीं देख पाता था। कई