उजाले की ओर –संस्मरण

================ स्नेही मित्रों नमस्कार   आशा है आप सब प्रसन्न व आनंदित हैं | नव वर्ष में कुछ बदल जाता है क्या?नहीं न ? वैसे ही दिन-रात, सुबह-शाम, अँधेरा  एक बात जरूर है कि हम सब नए वर्ष में नई आशाएं जरूर करते हैं, अब उनमें से किसकी कितनी पूरी होती हैं, नई योजनाओं के साथ कितना चल पाते हैं, कितने सपने पूरे होते हैं और कितने बीच में ही रह जाते हैं, इसका कुछ हिसाब किताब नहीं होता |    उपनिषद में एक बड़ी प्यारी कथा है जिसे मैंने ओशो के प्रवचन में सुना , उसे आपके साथ साझा